मंगलवार, 8 जून 2010

चंदामामा की शादी है

चंदामामा की शादी है
उजली पोशाकों में,
तारे सजे बाराती है
ढोल नगाड़े बाजे बजते है
झुमझुम कर ताल पर बाराती
सब नाचते है
आतिश अनारों के साथ
जब फुलझड़ियाँ छुटती है
झिलमिल रौशनिसे
धरती आकाश नहाते है
सजधज कर युवतियां जब
मटक-मटक कर चलती है
अनब्याहे यूवावों के दिल
धड़क -धड़क जाते है
पूनम की रात है मेहमानोंका
स्वागत है!
दुल्हन के घरवाले
दुल्हे वलोंकों
चांदी की सुराई से
चांदी के प्यालों में भरभर कर
शरबत पिलाते है
बादल कहार गगन की डोली
सितारों जड़े घूँघट में
दुल्हन शरमाई
मंगल धुन बजी शहनाई
चंदामामा की शादी की
शुभ घडी है आई !

1 टिप्पणी:

sanu shukla ने कहा…

wah bahut sundar..

गाँधी जी का तीन बन्दर का सिद्धांत-एक नकारात्मक सिद्धांत http://iisanuii.blogspot.com/2010/06/blog-post_08.html